डॉ. बी आर अम्बेडकर को 7 नवंबर, 1900 को सतारा के राजवाड़ा में प्रताप सिंह हाई स्कूल में दाखिला दिया गया था।
7 नवंबर 1900 एक ऐतिहासिक दिन जब डॉ. बी.आर.अम्बेडकर को सतारा के राजवाड़ा में प्रतापसिंह हाईस्कूल में दाखिला दिया गया था, स्कूल रजिस्टर में उनका नाम “भीवा रामजी अम्बेडकर” लिखा गया था, डॉ. बी.आर.अंबेडकर के पिता रामजी सकपाल ने स्कूल के रजिस्टर में सकपाल की जगह उपनाम अंबेडकर लिखा ताकि भीमराव को स्कूल में पढ़ाई के दौरान किसी भेदभाव का सामना न करना पड़े जहाँ वे अकेले अछूत छात्र थे।
उसे अन्य लड़कों के साथ एक ही कमरे में बैठने की अनुमति थी, लेकिन उसे हमेशा दूर कोने में फर्श पर अकेले बैठना पड़ता था। कोई भी उसके साथ बातचीत करने या उसके साथ खेलने में सक्षम नहीं था।”
स्कूल रजिस्टरों में डॉ. अंबेडकर के ऐतिहासिक हस्ताक्षर है ।
7 नवंबर को राज्य सरकार द्वारा जूनियर कॉलेजों और स्कूलों के लिए छात्र दिवस के रूप में नामित किया गया है। अब भी स्कूल रजिस्टर में उनके हस्ताक्षर एक ऐतिहासिक दस्तावेज़ के रूप में रखे गए हैं। स्कूल में उनके प्रवेश ने शैक्षिक सुधार का द्वार खोल दिया, जिससे उन्हें आगे चलकर संविधान का वास्तुकार बनने में मदद मिली, जिसे आज पूरी दुनिया में सम्मानित किया जाता है। इसने इतिहास का मार्ग बदल दिया,”
डॉ. अंबेडकर एक ऐसी हस्ती हैं जिनका योगदान जातिगत सीमाओं से परे है।
“शिक्षा बाघिन का दूध है और जो इसे पीएगा वह बाघ की तरह गुर्राएगा ।” – डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर